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आज भारत का शिक्चा के शिखर पे एक अलग ही रुतबा है जो की भारत को विदेशों में शिक्चा के छेत्र में आगे ले जाता है विदेश लोग से भारत में पढाई के लिए आने जाने लगे है आज विदेश के लोग भी भारतीय का लोहा मानने लगे है
हमारे देश में सर्बाधिक रूपया शिख्चा पर ही खर्च होता है तो किया इसके लाभ हमें देकने को नहीं मिलेगे निश्चित ही ऐसा होगा हमारा भारत बढता हुआ भारत है यहाँ अब हर ब्यक्ति खुसाल है ज्यादा से ज्यादा तो है ही बस जो सिस्टम है जैसे कानून ब्यबस्था रासन ब्यबस्था शिक्चा ब्हिभाग सुआस्थ ब्यबस्था और नियाये प्रणाली जैसे क्हुच अहम् भिभागो को सूधार कर हम यह साबित कर सकते है के भारत एक उत्तम देश है हमने जो जो मेहनत की वोह ब्यरथ नहीं जाएगी देश को जाती धरम से उठकर कार करना होगा अब जब उच्च शिक्षा के संस्थानों प्रशिक्षित श्रमशक्ति के खजाने से हमें मालामाल कर दिया। आर्थिक सुधारों ने हमारी नई पीढ़ी की उद्यम ऊर्जा शक्ति को अडिग बना दिया और ग्लोबलाइजेशन ने संभावनाओं के नए दरवाजे खोल दिए। हम लोगों को इस नींव को और मजबूत बनाना है और दरवाजा खटखटाती संभावनाओं का पूरा फायदा उठाने से कतई चूकना नहीं है।और हमारी जागरूकता और हमारी स्किचा हमें दुनिया के सामने सर ऊँचा करके रहने को खड़ा करेगी
आज भारत के हर कसबे हर गाँव और सहर हर राज्ये में पढाई लिखाई की अहमियत को जाना हैं और अब तोह लोग यही कहते मिलते है की आधी रोटी खाईये पर अपने बच्चे को पढ़ाइये
सरकार भी हर जरुरी प्रयास कर रही है और वाकई चाहे राज्ये इस्तर और चाहे केंद्र की सरकार हो दोनों ही के प्रयास स्राहिनिये है बस जरुरत है तो भारत की ऐसी जगह पर स्कूल; कॉलेज univrsity बनना चहिये जहाँ यह अभी दूर के सपने है ऐसी भोत सी जगहे है जहाँ सिक्चा को प्राप्त करने के लिए कई कई किलोमीटर की रास्तो को पार करना पढता है तब जाके हमें स्कूल कॉलेज का दीदार होता है और अब हमें जहाँ गाओ और सहर का भेदभाव सर पर सवार क़र रखहा है इस भेध्बो को समाप्त करके सरकार को एसी योजनायें बनानी चाहिए जिससे उद्योग- धन्धों को गाँव में ही स्थापित किये जा सकें,और गाओ में ही उचे इस्तर की सिक्चा मिल सके जिससे कि लोगों को रोजगार भी मिल सकें और हमारी संयुक्त परिवार की संस्कृति भी बची रहें।
दूसरी बात अब यह आती है के शिक्चा के इस्तर में गुद्बत्ता को कैसे सुधरा जाये तो यह भोत जरुरी है के जिस छेत्र में हम स्टडी कर रहे उस छेत्र का पूद ज्ञान होना चाहिए सिर्फ डिग्री से कुछ कम नहीं होगा जब तक हुनर नहीं नालेज नहीं सब बेकार है आज आप किसी गाओ की तरफ रुख करे और जरा गाओ के स्कूलों में जाकर बच्चो से पूछे की भारत का रास्पति कोन है या भारत का प्रधान मंती कोन है तो वोह सायद ही बता पाए
शिचा भिभागे को कमाने का अड्डा न बनाया जाये जो भी हो उसमे परदर्सिता होना चाहिए आज कल धन उघा ही का अड्डा सा मालूम पढता है स्कूलों में जो मिड डे मिल के लिए रासन पानी भेजा जाता है उसमे बढे बढे गप्ले होते रहते है यहाँ भर्ती के लिए बी टी सी के नाम पर न जाने कितनी धन उघाही हुई यह सब कमजोरिया कम करनी होगी
हाई स्कूल के महत्वे को कम न किया जाये हाई स्कूल और इंटर के बिच का फासला कम न किया जाये बलके हाई स्कूल को भी उच्ये इस्त्र में में मापा जाये हाई स्कूल के बाद ही छात्र यह अहसास करने लगता है के अब उसके पास अपने कैरियर को बनाने का बेहतरीन मौका है जिसके के लिए वोह अपने andar स्कैनिंग करने लगता है के के उसका रुझान किस छेत्र की तरफ ज्यादा है और वोह अपने आप को प्रिपरे कर लेता है अगये के लिए के उसे डॉक्टर बनना है या इन्ज़िनीअर या शिचक/*/////// to be contineud………………………………………………………………………
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