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शरद पवार किसी मीटिंग के चक्कर में मीडिया से मुखातिब थे पर वहअ मजूद हरविंदर नाम के ब्यक्ति ने आगये बड़ते हुए कल शरद पवार पे थाप्पध जढ़ दिया थाप्पध के बाद सारी राजनीती में हल चल सी मच गयी है महारास्त्र में शरद जी के समर्थको ने हाय हल्ला कर बवाल खड़ा कर रखा है जिसके वजह से महारास्त्र में कानून की इस्थिति बिगढ़ गयी है हा में मानता हु के के उस गरीब ब्यक्ति के दयारा उद्या हुआ गलत कदम है और में यह भी मानता हु के इस घटना से लोकतंत्र को भी नुकसान पंहुचा है लेकिन तो जनता और नेता पर दोना पर ही सामान रूप से लागू होता है जब यह नेता लोकतंत्र को नजर अंदाज़ करके अपने मन के कामो को अंजाम देते है तब भी तो लोकतंत्र को चाती पहुचती है बात गर तमाचे की की जाये तो यह निश्चित ही गलत तरीका था उस ब्यक्ति का लेकिन अगर नजर डाली जाये पिछली इस तरीके घटनाओ पर पर बहोत सी घटनाये उभर के नजर आती है .कैसृलाल पर चप्पल फेकी गयी और इराक की हिंसा और बर्बादी पर वुश पर जूता फेका गया . पाक के पि.म जरदारी इन गत्नाओ से दो चार हो चुके है ..जब किसी जुल्मो सितम से ब्यक्ति परेसान हो जाता है तो वोह इस तरह के कदम उठाने लगता है .लेकिन यहाँ बात एह देखने वाली है जब किसी गकिब मजलूम जनता पे सितम होते है तब इनता कास्ट नेताओ को नहीं होता और वो apne maksad को पूरा करने के लए जनता पर जुल्मो सितम करते चले जाते है . इस घटना का कारन साफ़ है के जनता अब पक़ चुकी है .रोज़ नए घोटाले हो रहे है …जो अमीर है वोह अमीर होता चला जा रहा है aur गरीब और गरीबी के पास जा रहा है .. क्या गरीबी के साथ जीवन यापन करने वाला ब्यक्ति महगाई के अधिक बोझ टेल दबता नहीं जा रहा है . दो वक़्त की रोटी के लए खून पसीना एक करने बाद भी परिवार का भला नहीं हो रहा . उसे निश्चित ही महगाई का जानवर सता रहा है . अब अगर उसे गुस्सा आएगा तो वोह कहा इस गुस्से को जाके निकले गा .सरकार को ही उसके गुस्से का सीकर होना पढ़ेगा .लेकिन हां जो गटना सरद पवार के साथ हुई वो तरीका गलत है .यह लोकतंत्र है हमे इस लोकतंत्र सम्मान करना चाहिए .लोकतंत्र में हमारे पास वोते से बढा कोई हतियार नहीं हो सकता जनता को इस का जबाब थाप्पध से नहीं बल्क़ के वोट से देना चाहिए …हिंसा हर हल में निन्दंये होती है ….और हिंसा से सिर्फ नुकसान ही हाथ लगता है …..
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