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भारत अब एक अगये बढ़ता हुआ देश है लेकिन यहाँ अब भीयहाँ कुछ अन्द्विस्वास की जड़े फैली हुई जैसे अभी मैंने दैनिक जागरण में पढ़ा था की एक तन्तारिक बाबा कबर में दफ़न बच्चे में जान डालने की कोशिस कर रहा है किया यह संभव है नहीं बिलकुल नहींऐसा हो ही नहीं सकता लेकिन हमारे भारत में अब भी ऐसा सिर्फ बिन पढ़े लोग ही करते व इसे सच मान लेते है मुझे लगता है की हमें अपने सीखचा दांचे को बड़े इस्तर पे लागू करना होगा अगर हम पड़े likhe होगे तो हम हर चीज़ को वारिकी से समझ पाएंगे और मुख्य वजह को समझ पाएंगे की अगर कोई परेशानी है या किसी बात का जिसका हमें ज्ञान नहीं तो उस विसये पर ज्ञान लेकर उस अगयानता को दूर कर सकते है अंधविश्वास का कोई वजूद नही होता है यह सिर्फ नुकसान ही देता है अन्द्विस्वास से दूरी ही अच्छी है अगर हमें अपने देश को और रास्तो जैसा अमेरिका जापान इंग्लैंड के जैसी विकास की धरा बहनी है तो हमें सीखचा को बद्दावा देने ही hoga जभी हम विकास व विकसित राष्ट्र की बढ़ सकते है अभी हमें विकसित राष्ट्र बन्ने के लिए बहोत कुछ करना है विकसित रास्त्र ऐसे नहीं विकसित कहलाते वह सारी सुबिधाओ से सुस्जित होते है वह स्कूल कॉलेज का अच्छा खासा नेटवर्क है और उनकी सिक्छा में गुणवत्ता भी है अब aap कहे गे की मैंने अंधविश्वास टोपिक पे बात शुरु की थी और कहा अगया अंधविश्वास अगयानता का एक भोत अच्छा उदहरण है जिसके यहाँ करके में अपनी बात कह पाया
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